मुंबई, 15 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला सहित चार अंतरिक्ष यात्री 18 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा पूरी कर पृथ्वी पर लौट आए हैं। ये सभी एस्ट्रोनॉट्स करीब 23 घंटे की यात्रा के बाद 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे कैलिफोर्निया के तट पर सफलतापूर्वक लैंड हुए। समुद्र में हुई इस लैंडिंग को स्प्लैशडाउन कहा जाता है। शुभांशु और उनकी टीम सोमवार शाम 4:45 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से रवाना हुए थे। शुभांशु 26 जून को भारतीय समयानुसार शाम 4:01 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे थे। एक्सियम मिशन-4 के तहत वे 25 जून को दोपहर करीब 12 बजे रवाना हुए थे। इस उड़ान के लिए उन्होंने स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल का उपयोग किया, जो फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु शुक्ला की वापसी पर उन्हें बधाई दी और कहा कि पूरे देश की ओर से वह इस ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा की सफल वापसी पर उनका स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि शुभांशु ने अपने समर्पण और साहस से अरबों लोगों को प्रेरित किया है। यह मिशन भारत के मानव अंतरिक्ष अभियान 'गगनयान' की दिशा में एक और बड़ा कदम है। जानकारी के अनुसार, शुभांशु 17 अगस्त तक भारत लौट सकते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल ढलने के लिए लैंडिंग के बाद सात दिन की मेडिकल जांच और रिहैबिलिटेशन की प्रक्रिया से गुजरना होता है। उसके बाद ही वे स्वदेश लौटते हैं। अंतरिक्ष में अपने 18 दिनों के प्रवास के दौरान शुभांशु ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया, जिनमें से सात भारत से जुड़े थे। उन्होंने मेथी और मूंग के बीजों को अंतरिक्ष में उगाने का प्रयोग किया और 'स्पेस माइक्रोएल्गी' प्रोजेक्ट में योगदान दिया। साथ ही उन्होंने हड्डियों की सेहत पर अंतरिक्ष के प्रभाव को लेकर भी परीक्षण किए।
28 जून को शुभांशु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लाइव वीडियो कॉल के जरिए बात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष से भारत बेहद भव्य नजर आता है। पीएम मोदी ने उनसे मजाक में पूछा कि क्या वह गाजर का हलवा लेकर गए थे, जिस पर शुभांशु ने हंसते हुए बताया कि उन्होंने हलवा साथियों को खिलाया। शुभांशु ने तीन अलग-अलग अवसरों पर देश के 500 से अधिक छात्रों से हैम रेडियो के माध्यम से बातचीत की, जिसका उद्देश्य छात्रों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के प्रति रुचि को बढ़ाना था। इसके अलावा, उन्होंने इसरो के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन और अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ संवाद कर अपने प्रयोगों और गगनयान मिशन में अपने अनुभवों की जानकारी साझा की। उन्होंने ISS के कपोला मॉड्यूल से पृथ्वी की बेहद खूबसूरत तस्वीरें भी लीं।
शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे व्यक्ति हैं जिन्होंने अंतरिक्ष यात्रा की है। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष की यात्रा की थी। अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय के बाद 41 वर्षों बाद किसी भारतीय ने यह उपलब्धि हासिल की है। यह मिशन भविष्य के गगनयान अभियान के लिए महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है और इसे 2027 में लॉन्च किए जाने की योजना है। भारत में अंतरिक्ष यात्रियों को 'गगनयात्री', रूस में 'कॉस्मोनॉट' और चीन में 'ताइकोनॉट' कहा जाता है। शुभांशु एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा थे, जिसके लिए भारत ने करीब 548 करोड़ रुपये की राशि चुकाई। यह मिशन एक निजी स्पेस फ्लाइट परियोजना है, जिसे अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सियम, नासा, इसरो और स्पेसएक्स की साझेदारी में संचालित किया गया।