मुंबई, 27 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। मद्रास हाईकोर्ट ने रेलवे द्वारा पानी की प्लास्टिक बोतलों के उपयोग पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि पीठ ने कहा कि हम रेलवे द्वारा प्लास्टिक की पानी की बोतलों के उपयोग पर गहरा असंतोष व्यक्त करते हैं, और रेलवे प्लास्टिक के विकास और अधिक प्लास्टिक के निर्माण को बढ़ावा दे रहा है। हमें सूचित किया गया है कि नई शुरू की गई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों में भी प्लास्टिक का उपयोग अधिक हो रहा है। यही वजह है कि ट्रेनों में प्लास्टिक के उपयोग को खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में रेलवे द्वारा एक रिपोर्ट दायर की जाएगी और यह अदालत चाहती है कि रेलवे प्लास्टिक उन्मूलन के मामले में दूसरों के लिए एक मॉडल नियोक्ता बने, ताकि वे उनका अनुसरण कर सकें। दरअसल, न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन और न्यायमूर्ति पीटी आशा की खंडपीठ ने प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध के खिलाफ तमिलनाडु पोंडी प्लास्टिक एसोसिएशन द्वारा दायर समीक्षा याचिका पर आगे अंतरिम आदेश पारित करते हुए हाल ही में यह निर्देश दिया।
इसमें यह भी कहा गया है कि यदि कोई दुकान सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करते हुए पाई गई तो पहली बार जुर्माना लगाया जा सकता है और यदि उल्लंघन जारी रहता है तो दुकान को सील कर दिया जा सकता है और कोई नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। पीठ ने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 430 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता था, जिसमें से दो-तिहाई केवल एक बार उपयोग के बाद कचरे के रूप में फेंक दिया जाता था। बारिश का पानी और हवा प्लास्टिक को नदियों और नालों में ले जाते हैं, जिसके कारण प्लास्टिक पानी को अवरुद्ध कर देता है और उसे धरती में जाने से रोकता है। इसके परिणामस्वरूप अंततः गर्मी के मौसम में पानी की कमी हो जाती है। साथ ही, पीठ ने आगे कहा कि, यहां यह बताना उचित है कि हमारे दादाओं ने नदियों में, पिताओं ने कुओं में, वर्तमान पीढ़ी ने नलों में और हमारे बच्चों ने बोतलों में पानी देखा था। हमें अपने पोते-पोतियों को इसे कैप्सूल में नहीं दिखाना चाहिए। पीठ ने कहा, केवल महान नेता ही इसे सुनिश्चित कर सकते हैं और मामले की आगे की सुनवाई नौ अक्टूबर के लिए तय की है।