मुंबई, 03 दिसंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सभी राज्य वर्क-प्लेस पर महिलाओं को सेक्शुअल हैरेसमेंट से बचाने के लिए इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (ICC) बनाएं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने गोवा यूनिवर्सिटी के एक पूर्व प्रोफेसर की याचिका पर मंगलवार को यह निर्देश दिया। बेंच ने कहा कि, महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रिवेंशन ऑफ सेक्शुअल हैरेसमेंट एक्ट (PoSH) 2013 में आया था। इतने वक्त बाद भी इसे लागू करने में इतनी गंभीर खामियां मिलना चिंताजनक है। ऐसा होना बहुत ही ज्यादा दुखद है, क्योंकि इसका राज्यों की कार्यशैली, पब्लिक अथॉरिटी और पब्लिक संस्थानों पर खराब असर पड़ता है।
दरअसल, याचिकाकर्ता ऑरेलियानो फर्नांडीस ने पूछा- सुप्रीम कोर्ट ने मई 2023 के एक आदेश में केंद्र और राज्य सरकारों से एक वैरिफिकेशन के लिए बोला था। इसमें कहा गया था कि क्या वर्कप्लेस पर सेक्शुअल हैरेसमेंट के आरोपों की जांच के लिए सभी मंत्रालयों और विभागों में पैनल बनाए गए हैं या नहीं। याचिकाकर्ता ऑरेलियानो फर्नांडीस पर गोवा यूनिवर्सिटी में सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप है। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने उन्हें नौकरी से हटा दिया था और भविष्य में दोबारा कभी काम पर न रखने कहा था। उन्होंने इसे बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी यूनिवर्सिटी के फैसले को सही बताया। इसके बाद फर्नांडीस ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जांच की प्रक्रिया में चूक हुई। इसलिए बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को रद्द किया जाता है।