प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राएं हमेशा किसी न किसी खास वजह से चर्चा में रहती हैं। ऐसा ही एक भावुक और सांस्कृतिक जुड़ाव का दृश्य देखने को मिला उनकी साइप्रस यात्रा के दौरान, जब वहां की एक स्थानीय नेता माइकेला काइथरेओटी म्हाल्पा ने न केवल भारतीय परंपरा को अपनाया, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के पैर छूकर उनका स्वागत किया। यह दृश्य न सिर्फ सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, बल्कि इससे भारत की सांस्कृतिक पहचान को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई ऊंचाई मिली।
कौन हैं माइकेला काइथरेओटी म्हाल्पा?
माइकेला काइथरेओटी म्हाल्पा साइप्रस की राजधानी निकोसिया परिषद की सदस्य हैं। वे वहां के ऐतिहासिक केंद्र में प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए मौजूद थीं। जब प्रधानमंत्री पहुंचे, तो उन्होंने भारत की परंपराओं का आदर करते हुए उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। यह दृश्य किसी औपचारिकता से परे, एक गहरी संस्कृति और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है।
इससे पहले पापुआ न्यू गिनी में भी 2023 में वहां के प्रधानमंत्री जेम्स मारपे ने भी परंपराएं तोड़ते हुए प्रधानमंत्री मोदी के पैर छूकर उन्हें सम्मानित किया था। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि विश्व भर में भारतीय संस्कृति, मूल्य और नेतृत्व को अब गहरी श्रद्धा और सम्मान से देखा जा रहा है।
साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला प्रधानमंत्री मोदी को
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान "ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III" से सम्मानित किया। यह सम्मान साइप्रस के पहले राष्ट्रपति मकारियोस III के नाम पर रखा गया है और यह उन राष्ट्राध्यक्षों और प्रतिष्ठित लोगों को दिया जाता है जिन्होंने देश की सेवा में विशेष योगदान दिया हो।
यह सम्मान भारत और साइप्रस के बीच गहरे होते संबंधों की पुष्टि करता है। नरेंद्र मोदी ने इस सम्मान को 140 करोड़ भारतीयों को समर्पित करते हुए कहा कि यह सम्मान उनकी क्षमताओं, आकांक्षाओं, और भारत की वैश्विक पहचान का प्रतीक है।
पीएम मोदी का संबोधन: भारत-साइप्रस संबंधों की नई परिभाषा
सम्मान प्राप्त करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा:
"यह सम्मान मेरा नहीं, बल्कि भारत के 140 करोड़ नागरिकों का है। यह हमारी साझा शांति, सुरक्षा, संप्रभुता और समृद्धि की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।"
उन्होंने आगे कहा कि यह पुरस्कार भारत और साइप्रस के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों, आपसी समझ और सांस्कृतिक संबंधों को समर्पित है। उन्होंने साइप्रस की सरकार, राष्ट्रपति और नागरिकों के प्रति कृतज्ञता जताई।
भारत और साइप्रस के संबंधों का ऐतिहासिक क्षण
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा थी। लारनाका अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर खुद साइप्रस के राष्ट्रपति ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों और सहयोग के क्षेत्रों पर चर्चा हुई।
भारत और साइप्रस के बीच व्यापार, शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में गहरे संबंध हैं। अब यह रिश्ता और भी मजबूत होता दिख रहा है।
सांस्कृतिक सम्मान से भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा मजबूत
माइकेला म्हाल्पा द्वारा भारतीय परंपरा को अपनाकर पीएम मोदी के पैर छूने का दृश्य सिर्फ एक राजनयिक संकेत नहीं था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति के प्रति वैश्विक स्वीकार्यता और सम्मान को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में:
"यह सम्मान भारत के 'वसुधैव कुटुंबकम' – ‘संपूर्ण विश्व एक परिवार है’ – की भावना का आदर है।"
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साइप्रस यात्रा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रही। न केवल उन्हें वहां सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला, बल्कि भारतीय संस्कृति के प्रति गहरा सम्मान भी देखने को मिला।
माइकेला म्हाल्पा का यह भावनात्मक कदम इस बात का प्रमाण है कि भारत की सभ्यता, परंपरा और आदर्शों को अब दुनिया एक नई दृष्टि से देख रही है — श्रद्धा और प्रेरणा के रूप में।