भारत-चीन संबंधों को लेकर अमेरिका के रक्षा विभाग (पेंटागन) की हालिया रिपोर्ट ने बीजिंग को नाराज़ कर दिया है। पेंटागन की इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के साथ तनाव कम होने का फायदा उठाकर द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करना चाहता है, ताकि भारत-अमेरिका के बीच तेजी से मजबूत हो रहे रणनीतिक रिश्तों को संतुलित या सीमित किया जा सके। इस आकलन को चीन ने सिरे से खारिज करते हुए इसे उसकी रक्षा नीति की गलत व्याख्या बताया है।
गुरुवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान पेंटागन की रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि चीन अपनी राष्ट्रीय रक्षा नीति को लेकर अमेरिका की इस तरह की टिप्पणियों का विरोध करता है। लिन जियान ने साफ किया कि चीन भारत के साथ अपने संबंधों को किसी तीसरे देश को ध्यान में रखकर नहीं, बल्कि रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या चीन भारत के साथ सीमा क्षेत्रों में तनाव कम होने का फायदा उठाकर अमेरिका-भारत संबंधों को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है, तो उन्होंने इस सवाल को ही गलत करार दिया। लिन जियान ने कहा कि चीन भारत के साथ संबंधों को विकसित करने पर जोर देता है, न कि किसी अन्य देश को निशाना बनाने या भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा बनाने पर।
चीनी विदेश मंत्रालय का अमेरिका पर पलटवार
चीनी विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत और चीन के बीच संबंधों का आधार आपसी सम्मान, संवाद और सहयोग है। प्रवक्ता ने कहा कि चीन भारत के साथ संवाद को मजबूत करने, आपसी विश्वास बढ़ाने और द्विपक्षीय रिश्तों को स्थिर, स्वस्थ और दीर्घकालिक विकास की दिशा में आगे ले जाने के लिए तैयार है। उन्होंने दोहराया कि सीमा का मुद्दा चीन और भारत के बीच का द्विपक्षीय मामला है और किसी तीसरे देश को इसमें हस्तक्षेप या टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है।
यह बयान पेंटागन की वार्षिक रिपोर्ट ‘मिलिट्री एंड सिक्योरिटी डेवलपमेंट्स इन्वॉल्विंग द पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ के संदर्भ में आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एलएसी पर तनाव कम होने के बाद चीन भारत के साथ रिश्तों को स्थिर करने की कोशिश कर रहा है, ताकि भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक गठजोड़ और सैन्य सहयोग को गहराने से रोका जा सके। पेंटागन का यह भी दावा है कि चीन क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर सक्रिय है।
पेंटागन रिपोर्ट में क्या-क्या कहा गया
पेंटागन की रिपोर्ट में अरुणाचल प्रदेश को चीन के “कोर इंटरेस्ट” के रूप में दिखाया गया है और इसकी तुलना ताइवान और दक्षिण चीन सागर जैसे संवेदनशील मुद्दों से की गई है। इसके अलावा रिपोर्ट में पाकिस्तान के साथ चीन के बढ़ते सैन्य सहयोग का भी उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि चीन-पाकिस्तान सैन्य संबंध दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं और भारत की रणनीतिक चिंताओं को बढ़ा सकते हैं।
चीन ने इन सभी बिंदुओं पर अप्रत्यक्ष रूप से आपत्ति जताते हुए कहा है कि अमेरिका जानबूझकर क्षेत्रीय तनावों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है और चीन की नीतियों को गलत तरीके से व्याख्यायित कर रहा है।
कैसे हैं फिलहाल भारत-चीन संबंध
पिछले कुछ महीनों में भारत और चीन के बीच सीमा तनाव में कमी देखने को मिली है। अक्टूबर 2024 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात को इस दिशा में एक अहम कदम माना गया। इस बैठक के बाद दोनों देशों के बीच सीमा प्रबंधन और सैन्य संवाद को लेकर उच्चस्तरीय बातचीत शुरू हुई।
इसके अलावा दोनों पक्षों ने आपसी संपर्क बढ़ाने के लिए कई व्यावहारिक कदम भी उठाए हैं। डायरेक्ट फ्लाइट्स बहाल करने, वीजा प्रक्रियाओं को आसान बनाने और कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने जैसे फैसलों को रिश्तों में सुधार के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, सीमा विवाद अब भी पूरी तरह सुलझा नहीं है, लेकिन मौजूदा हालात में दोनों देश टकराव के बजाय संवाद के रास्ते पर आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं।
कुल मिलाकर, पेंटागन की रिपोर्ट ने एक बार फिर भारत-चीन-अमेरिका त्रिकोण को चर्चा के केंद्र में ला दिया है। जहां अमेरिका इसे रणनीतिक संतुलन के नजरिये से देख रहा है, वहीं चीन इसे अपने द्विपक्षीय संबंधों में बाहरी हस्तक्षेप मान रहा है। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि यह कूटनीतिक बयानबाज़ी ज़मीनी स्तर पर रिश्तों को किस हद तक प्रभावित करती है।