मुंबई, 14 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तैनात किए अपने स्पेशल डिप्लोमेट आसिफ दुर्रानी को निकाला दिया है। पाकिस्तानी मीडिया हाउस डॉन के मुताबिक PAK फौज दुर्रानी के काम से खुश नहीं थी। वहीं दुर्रानी के मुताबिक, अफगानिस्तान के लिए नीतियों को लेकर वे जो भी सलाह देते थे, उसे विदेश मंत्रालय लगातार नजरअंदाज कर रहा था। पाकिस्तान ने जून 2020 में अफगानिस्तान के लिए स्पेशल डिप्लोमैट भेजने की शुरुआत की थी। इनका काम तालिबान शासन और अफगानिस्तान में मौजूद दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करना था। दरअसल तब अफगानिस्तान में नाटो देशों की सेना तैनात थी। 2020 में अमेरिका, तालिबान के बीच दोहा में एक समझौता हुआ था। समझौते के तहत अमेरिका के नेतृत्व में नाटो अफगानिस्तान से अपनी सेना हटाने वाला था। बदले में तालिबान ने वादा किया था कि वह आतंकी संगठन अल-कायदा को बढ़ने से रोकेगा और अफगान सरकार के साथ मिलकर काम करेगा। इस समझौते के बाद ही पाकिस्तान से अपने खास डिप्लोमैट को अफगानिस्तान भेजा था। वहीं आसिफ दुर्रानी मई 2023 से यह पद संभाल रहे थे। इनका काम अफगानिस्तान से ऑपरेट होने वाले आतंकी संगठन TTP की वजह से खराब हुए PAK-अफगान संबंधों को बेहतर करना था।
आपको बता दें, दुर्रानी फिलहाल ईरान में पाकिस्तान के राजूदत भी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 32 साल के अपने करियर में दुर्रानी को अकसर पाकिस्तान के विदेश विभाग में बाहरी व्यक्ति के तौर पर देखा जाता था। ऐसा इसलिए क्योंकि वह सीधे मिलिट्री को रिपोर्ट करते हैं। ऐसे में जब उनकी नियुक्ति अफगानिस्तान में हुई तो उन्हें विदेश मंत्रालय के साथ तालमेल बैठाने में दिक्कत आई। दुर्रानी ने जुलाई में तालिबानी डेलिगेशन से कतर की राजधानी दोहा में मुलाकात की थी। तालिबान ने इस बैठक को सकारात्मक बताया था। दुर्रानी पाकिस्तान में गैरकानूनी तरह से रह रहे अफगान नागरिकों को निकालने के खिलाफ थे। उनका मानना था कि इससे पाकिस्तान को लेकर तालिबान का रवैया सख्त हो जाएगा। साथ ही सीमा की सुरक्षा के लिए भी सही नहीं है।