भगवान कृष्ण संसार के सबसे बड़े प्रेमी हैं। साल 2024 की जन्माष्टमी के मौके पर उन्होंने अपनी लीला भी रची है. इस साल 26 अगस्त 2024 को मनाई जा रही जन्माष्टमी पर वही शुभ योग संयोग बन रहा है, जो 5251 साल पहले द्वापर युग में भगवान कृष्ण के जन्म के समय बना था। इन शुभ योगों के संयोग से इस साल की जन्माष्टमी अत्यंत फलदायी बन गई है। आइए जानते हैं कि लड्डू गोपाल के जन्मदिन पर क्या हैं शुभ संयोग और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त, जिससे अधिक से अधिक पुण्य प्राप्त हो सके?
जन्माष्टमी पर द्वापर युग जैसा संयोग बन रहा है
द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, उस दिन भी सोमवार था और आकाश में रोहिणी नक्षत्र के साथ योग बना था। चंद्रमा वृषभ राशि में गोचर कर रहा था. वृष राशि में चंद्रमा के संयोग से रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि, स्वार्थ सिद्धि योग, जयंती योग बना। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव 2024 पर ऐसा ही योग 5251 साल बाद बन रहा है। इससे इस योग में पूजा और व्रत का महत्व कई गुना बढ़ गया है।
जयंती योग में जन्म
धर्म ग्रंथों के अनुसार आज से 5251 वर्ष पूर्व भगवान विष्णु ने अपने आठवें अवतार श्रीकृष्ण के रूप में माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था। द्वापर युग में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, सोमवार को जयंती नामक शुभ योग में आधी रात को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
भाद्रपद कृष्ण पक्ष 2024 अष्टमी तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में दोपहर 3:39 बजे शुरू होगी और 27 अगस्त को दोपहर 2:19 बजे समाप्त होगी. इसलिए जन्माष्टमी पर उदयातिथि के आधार पर 26 तारीख को लड्डू गोपाल की पूजा की जा रही है.
जन्माष्टमी 2024 पूजा मुहूर्त
ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जयंती योग में पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। जहां तक जन्माष्टमी पर पूजा की बात है तो यह रात 12:01 बजे से 12:45 बजे तक होगी। इन 44 मिनट के दौरान भगवान कृष्ण की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होंगी।
ऐसा माना जाता है कि शुभ समय में की गई पूजा का विशेष महत्व होता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस समय भगवान विशेष रूप से अपने भक्तों की प्रार्थना सुनते हैं। जन्माष्टमी के दिन की गई पूजा से न केवल मनोकामनाएं पूरी होती हैं, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है।