अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के श्रम विभाग (Labor Department) ने H-1B वीज़ा कार्यक्रम के "दुरुपयोग" को लेकर एक विवादास्पद सोशल मीडिया अभियान शुरू किया है, जिसमें भारत को सीधे तौर पर निशाना बनाया गया है। विभाग ने एक विज्ञापन जारी किया है जिसमें भारत को वीज़ा सेवा का सबसे बड़ा और सबसे ज़्यादा फायदा उठाने वाला देश बताया गया है। इस अभियान के माध्यम से यह आरोप लगाया गया है कि कंपनियों ने H-1B वीज़ा कार्यक्रम का दुरुपयोग किया है, जिसके चलते विदेशियों, विशेष रूप से भारतीयों ने अमेरिकियों की नौकरियाँ छीन ली हैं।
कंपनियों को ठहराया जिम्मेदार: "अमेरिकियों का सपना छीना"
श्रम विभाग ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर इस विज्ञापन को पोस्ट किया, जिसे 'प्रोजेक्ट फायरवॉल' नामक पहल का हिस्सा बताया गया है। पोस्ट में कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि "अमेरिका के युवाओं से सपना छीन लिया गया है, क्योंकि H-1B वीज़ा के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग के कारण उनकी नौकरियाँ विदेशी कर्मचारियों द्वारा छीन ली गई हैं।" पोस्ट में आगे कहा गया है कि प्रशासन कंपनियों को उनके दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह ठहरा रहा है। इसका मकसद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सेक्रेटरी लोरी शावेज-डेरेमर की मदद से "अमेरिकियों के सपने को वापस पाना" है। यह अभियान ट्रंप प्रशासन की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति को केंद्र में रखता है, जिसका सीधा असर उच्च कौशल वाले विदेशी कर्मचारियों पर पड़ रहा है।
विज्ञापन में दिखाया गया 1950 का अमेरिका
श्रम विभाग द्वारा जारी किए गए 51 सेकंड के वीडियो विज्ञापन में भावनात्मक अपील का इस्तेमाल किया गया है। वीडियो की शुरुआत में 1950 के दशक के अमेरिका को दिखाया गया है, जहाँ खुशहाल हँसते-खेलते परिवार, घर और फलती-फूलती फैक्ट्रियाँ हैं। इस छवि की तुलना आज के अमेरिका से की गई है, जहाँ रोज़गार के अवसर कम हो गए हैं। वीडियो में यह दावा किया गया है कि अमेरिका का H-1B वीज़ा 72 प्रतिशत भारतीयों को मिलता है। विज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि बाहरी लोग वीज़ा का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे अमेरिका के युवाओं के साथ अन्याय हो रहा है। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि ट्रंप सरकार इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगी।
नए वीज़ा नियम और 'अमेरिका फर्स्ट' नीति
यह अभियान ट्रंप सरकार द्वारा सितंबर 2025 में लागू किए गए नए H-1B वीज़ा नियमों की पृष्ठभूमि में आया है। इन नियमों का मुख्य उद्देश्य देश की आईटी कंपनियों को कम सैलरी वाले H-1B होल्डर्स को काम पर रखने से रोकना था। इसका लक्ष्य कंपनियों को अमेरिकी पेशेवरों को उच्च वेतन पर काम पर रखने के लिए प्रोत्साहित करना था, जिससे 'अमेरिका फर्स्ट' की नीति सफल हो सके। यह सोशल मीडिया कैंपेन भारत और अमेरिका के बीच काम करने वाले आईटी पेशेवरों और टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए तनाव बढ़ा सकता है, क्योंकि यह सीधे तौर पर वीज़ा धारकों पर गलत गतिविधियों का आरोप लगा रहा है।