2024 में, भारत में घरेलू पेमेंट ट्रांजेक्शंस का एक महत्वपूर्ण हिस्सा क्रेडिट कार्ड और ब्याज-युक्त ईएमआई के माध्यम से किया गया। एक रिपोर्ट के अनुसार, कुल घरेलू ट्रांजेक्शंस में से करीब एक-तिहाई लेन-देन क्रेडिट-आधारित थे, जो यह दर्शाता है कि उपभोक्ता अब अपने खर्चों को अधिक लचीले और सुविधाजनक तरीके से पूरा कर रहे हैं। वहीं, यूपीआई ने डिजिटल पेमेंट्स में एक नई क्रांति ला दी है, जो अब कुल ट्रांजेक्शंस का 65 प्रतिशत हिस्सा बन चुका है।
यूपीआई का बढ़ता प्रभाव
रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि यूपीआई खासकर स्मॉल और मीडियम वैल्यू के ट्रांजेक्शंस में ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। इसका मतलब यह है कि छोटे और मंझले आकार के लेन-देन के लिए लोग अब तेजी से यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, बड़ी रकम वाली खरीदारी के लिए अब क्रेडिट कार्ड और ईएमआई विकल्प का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि उपभोक्ताओं को लचीले पेमेन्ट विकल्प और क्रेडिट की सुविधा मिल रही है, जिससे वे बड़ी खरीदारी बिना एकमुश्त भुगतान के कर पा रहे हैं।
क्रेडिट का बढ़ता उपयोग
विशेषकर सीजनल ट्रेंड्स में, जैसे कि फेस्टिव शॉपिंग, स्कूल एडमिशन और अन्य बड़े शॉपिंग इवेंट्स, क्रेडिट का उपयोग बढ़ता है। यह संकेत देता है कि उपभोक्ता उच्च खर्च वाले समय में शॉर्ट-टर्म क्रेडिट पर निर्भर करते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ऐसे समय में उपभोक्ताओं द्वारा ईएमआई और क्रेडिट कार्ड का उपयोग बढ़ जाता है, जिससे वे बड़े खर्चों को आसान तरीके से संभाल सकते हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में क्रेडिट का बढ़ता उपयोग
रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे सेक्टर्स में भी डिजिटल क्रेडिट की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है। लोग अब अपनी स्कूल फीस, चिकित्सा खर्च और अन्य उच्च-मूल्य वाले खर्चों के लिए ईएमआई स्कीम्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस प्रकार के लेन-देन ने उपभोक्ताओं के वित्तीय व्यवहार में बदलाव को भी दर्शाया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि उपभोक्ता अब एकमुश्त भुगतान करने की बजाय, अपनी खरीदी के लिए लचीले क्रेडिट विकल्प का उपयोग ज्यादा कर रहे हैं।
वित्तीय व्यवहार में बदलाव
Phi Commerce के को-फाउंडर राजेश लोंढे ने कहा कि जैसे-जैसे यूपीआई और लचीले क्रेडिट विकल्प आम हो रहे हैं, यह समावेशी विकास और वित्तीय लचीलापन के लिए रास्ता खोल रहे हैं। उपभोक्ता अब अपने खर्चों के लिए शॉर्ट-टर्म क्रेडिट का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं, विशेष रूप से उच्च-मूल्य वाली खरीदारी में। यह बदलाव खासकर शिक्षा (10 प्रतिशत), स्वास्थ्य देखभाल (15 प्रतिशत) और ऑटो सहायक (15 प्रतिशत) में दिखाई दे रहा है, जहां ईएमआई स्कीम्स और संरचित क्रेडिट विकल्प तेजी से अपनाए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
2024 में भारत में डिजिटल पेमेंट्स के क्रेडिट-आधारित ट्रांजेक्शंस और यूपीआई के प्रभावी उपयोग ने उपभोक्ताओं के वित्तीय व्यवहार को एक नए तरीके से आकार दिया है। अब लोग अपनी खर्चों की योजना बनाते समय अधिक लचीले और सुविधाजनक विकल्पों का चयन कर रहे हैं। विशेषकर शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों में ईएमआई और क्रेडिट कार्ड का उपयोग बढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि आने वाले समय में वित्तीय प्रौद्योगिकी और लचीले क्रेडिट विकल्पों का महत्व और बढ़ेगा।