मुंबई, 26 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हालिया भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष को लेकर बड़ा बयान दिया है। जर्मनी के प्रतिष्ठित समाचारपत्र 'फ्रैंकफुरटर ऑलगेमाइन ज़ितुंग' को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट किया कि दोनों देश कभी भी परमाणु युद्ध के करीब नहीं पहुंचे थे। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के युद्धविराम में भूमिका संबंधी दावों को भी खारिज कर दिया। जयशंकर ने बताया कि भारत की ओर से किए गए हमले खासतौर पर उन इलाकों पर केंद्रित थे, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकी सूची में दर्ज हैं। इनमें पाकिस्तान के बहावलपुर में स्थित जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय और मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा शामिल हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि पाकिस्तान में आतंकवाद एक संगठित और संरक्षित तंत्र है, जिसे वहां की सरकार और सेना सक्रिय समर्थन, फंडिंग और संचालन देती है।
विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने दुनिया को यह संदेश दिया कि आतंकवाद को सहन नहीं किया जाएगा और कश्मीर में अप्रैल में हुए हमलों का जवाब सख्ती से दिया जाएगा। उन्होंने पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से आतंकवाद का संरक्षक बताया और कहा कि जो कोई भी आंखें खोलकर देखेगा, वह इस सच्चाई को नकार नहीं सकता। जब उनसे पूछा गया कि क्या इस संघर्ष में चीन की कोई भूमिका थी, तो उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के पास मौजूद कई हथियार चीन निर्मित हैं और दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। यह अप्रत्यक्ष रूप से चीन की भूमिका की ओर संकेत करता है।
सीजफायर को लेकर जयशंकर ने स्पष्ट किया कि यह भारत और पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों के बीच प्रत्यक्ष संवाद का परिणाम था, न कि किसी बाहरी शक्ति के दबाव का। उन्होंने कहा कि युद्धविराम से ठीक पहले भारत ने पाकिस्तान के कई एयरबेस और एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया, जिसके चलते पाकिस्तान को पीछे हटने को मजबूर होना पड़ा। जयशंकर ने कहा कि अगर किसी का धन्यवाद करना है तो वह भारतीय सेना है, जिसने निर्णायक कार्रवाई कर पाकिस्तान को रोकने पर मजबूर किया। भारत ने यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत की थी, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की गई थी। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी भारत में हमले किए और यह संघर्ष चार दिन चला। बाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर दोनों देशों के युद्धविराम की जानकारी साझा की थी, जिसे भारत ने औपचारिक रूप से अपनी सेना की रणनीति का नतीजा बताया।