अमेरिका में शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों की बड़ी लहर देखने को मिली। पूरे देश में हजारों लोगों ने एकजुट होकर ट्रंप की नीतियों का कड़ा विरोध किया। वाशिंगटन समेत देश के लगभग 400 शहरों में विरोध रैलियों का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने उनकी अप्रवासन नीतियों, अर्थव्यवस्था, बर्खास्तगी, और यूक्रेन-गाजा युद्धों में अमेरिका की भूमिका पर नाराजगी जताई।
50501 समूह के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन
इन रैलियों का आयोजन ‘50501’ नामक कार्यकर्ता समूह ने किया, जिसका मकसद है – 50 राज्यों में एकजुट होकर 50 विरोध-प्रदर्शन करना। यह ट्रंप विरोध की चौथी बड़ी लहर है। इससे पहले जनवरी, 17 फरवरी (नो किंग्स डे) और 5 अप्रैल (हैंड्स ऑफ मूवमेंट) को भी देशभर में प्रदर्शन हो चुके हैं।
50501 समूह की प्रवक्ता हीदर डन ने कहा:
“यह विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र को बचाने के लिए है। ट्रंप प्रशासन का रवैया अधिनायकवादी है, जो हमारे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। यह एक शांतिपूर्ण और गैर-राजनीतिक आंदोलन है, जिसमें सभी विचारधाराओं के लोग शामिल हो रहे हैं।”
‘कोई राजा नहीं चाहिए’, ‘महाभियोग लगाओ और हटाओ’
व्हाइट हाउस, मैनहट्टन, और सैन फ्रांसिस्को समेत दर्जनों प्रमुख शहरों में लोग ट्रंप के खिलाफ पोस्टर, बैनर और नारों के साथ सड़कों पर उतरे। ‘कोई राजतंत्र नहीं’, ‘श्रमिकों के पास शक्ति होनी चाहिए’, ‘महाभियोग लगाओ और हटाओ’, जैसे नारों के साथ प्रदर्शनकारियों ने अपनी नाराजगी जताई।
सैन फ्रांसिस्को के ओशन बीच पर एक बड़ा रेत पर लिखा बैनर भी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा, जिस पर लिखा था – ‘इम्पीच एंड रिमूव’ (महाभियोग लगाओ और हटाओ)।
प्रवासियों और संघीय कर्मचारियों के समर्थन में भी प्रदर्शन
प्रदर्शनकारियों ने उन प्रवासियों के समर्थन में भी आवाज उठाई, जिन्हें ट्रंप प्रशासन द्वारा निर्वासित किया गया या निर्वासन की धमकी दी गई थी। साथ ही उन्होंने संघीय कर्मचारियों की बर्खास्तगी के खिलाफ एकजुटता भी दिखाई। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि ट्रंप प्रशासन ने अपने कार्यकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रताओं और कानून के शासन को कुचलने का काम किया है।
गाजा और यूक्रेन युद्ध पर भी निशाना
प्रदर्शनकारियों ने अमेरिका की गाजा और यूक्रेन युद्धों में भूमिका पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि ट्रंप की विदेश नीति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका की छवि को नुकसान पहुंचाया है और यह नीति केवल हथियारों की आपूर्ति और सैन्य दखल पर केंद्रित रही है।
निष्कर्ष
अमेरिका में ट्रंप के प्रति जनभावनाएं लगातार बंटी हुई नजर आती हैं, लेकिन इन विरोध प्रदर्शनों ने यह साफ कर दिया है कि एक बड़ा वर्ग उनकी नीतियों से असहमत है। आने वाले समय में जब अमेरिका फिर से चुनावों की ओर बढ़ रहा है, तो ऐसे जन आंदोलन चुनावी माहौल पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।